नव वर्ष 2019 की शुरुआत के साथ ही पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा ने ‘चांग ए-4‘ (Chang’e 4) नामक एक नए अतिथि का स्वागत किया। परंतु यह अतिथि इस रूप में भिन्न था कि इसने चंद्रमा के उस हिस्सा पर अपने कदम रखे जहां आज तक कोई मानव अंतरिक्ष यान नहीं पहुंच सका। हालांकि पूर्व में प्रयास जरूर किए गए परंतु सफलता नहीं मिली। दरअसल इस बार चंद्रमा के तथाकथित ‘डार्क साइड’ पर कोई रोवर चहलकदमी करने में...
106वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा कदम या यूं कहें कि एक बड़ी उपलब्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत अपना पहला मानव युक्त अंतरिक्ष यान ‘गगनयान वर्ष 2022 में अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। जीएसएलवी एमके-III से तीन सदस्यों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। 28 दिसंबर, 2018 को केंद्र सरकार ने लगभग 10,000 करोड़ रुपए तक के व्यय वाली इस परियोजना...
विश्व आर्थिक मंच की वर्ष 2018 की लैंगिक अंतराल सूचकांक, ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट, (Global Gender Gap Report 2018) मिश्रित परिणाम वाला प्रतीत होता है, भारत के लिए भी और विश्व के लिए भी। जहां कुछ मामलों में भारत ने प्रगति दिखाई है तो वहीं कुछ मामलों में बेहद ही खराब प्रदर्शन है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि वर्ष 2018 में जेंडर गैप में सुधार के बावजूद स्वास्थ्य व शिक्षा तथा राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में ट्रेंड...
खगोलविदों ने बिग बैंग के पश्चात बेसहारा हो गए गैस के बादल का अवशेष सुदूर ब्रह्मांड में खोजा है। साइंस डेली के मुताबिक इसे विश्व का सबसे शक्तिशाली ऑप्टिकल टेलीस्कोप ‘डब्ल्यू.एम.केक वेधशाला’ के द्वारा खोजा गया है। यह वेधशाला हवाई स्थित मौनाकी में स्थित है। उपर्युक्त गैस का पता वेधशाला के इएसआई एवं हाइरेस उपकरणों से की गई है। इसकी खोज स्वाइनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के पीएचडी...
13-14 दिसंबर, 2018 को उत्तरी गोलार्द्ध में जेमिनिड उल्का वर्षा (Geminids meteor shower) की सर्वाधिक चमक देखने को मिली। हालांकि ये उल्कावर्षा 4 से 17 दिसंबर तक सक्रिय रहती हैं। जेमिनिड काफी विश्वसनीय उल्का वर्षा होती हैं जिसे पूरे विश्व में दो बजे रात्रि में देखा जा सकता है। उल्का वर्षा को जेमिनिड इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये जेमिनी नामक नक्षत्र से आती हुई दिखती हैं परंतु इस उल्का वर्षा का पैतृक निकाय 3200 फेथॉन...
भारत जैव विविधता समृद्ध देश है। विश्व का 2.4 प्रतिशत क्षेत्रफल होने के बावजूद यह विश्व की 7-8 प्रतिशत सभी दर्ज प्रजातियों (जिनमें 45,000 पादप प्रजातियां एवं 91,000 जंतु प्रजातियां) का पर्यावास स्थल है। विश्व के 34 जैव विविधता हॉट स्पॉट में से चार भारत में हैं। इसी प्रकार विश्व के 17 मेगा-डायवर्सिटी देशों में भारत शामिल है। इस प्रकार जैव विविधता न केवल इकोसिस्टम कार्यतंत्र के आधार का निर्माण करता...
हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार महज दो सौ वर्षों में मानव ने शीतलन प्रवृत्ति को उलट दिया है और जलवायु को आज से 50 मिलियन वर्ष पहले ले गया है। जलवायु में परिवर्तन यह गति हमारी पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों ने शायद ही किसी चीज में महसूस किया है। प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2030 में पृथ्वी पर तापमान मध्य प्लीओसीन युग के जैसा होगा जो कि भूवैज्ञानिक...
आज से 252 मिलियन वर्ष पहले पर्मियन युग में पृथ्वी पर जीवन के लिए कठिन समय था। उस युग में पृथ्वी पर से अधिकांश जीव नष्ट हो गए थे जिस वजह से इसे ‘महान मृत्यु’ और पृथ्वी का सबसे घातक ‘प्रजाति विलुप्ति’ (Mass Extinctions) की घटना की संज्ञा दी जाती है। जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध आलेख के आधार पर वैज्ञानिकों ने इस प्रजातीय विलुप्ति के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक...
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ का इनसाइट मंगल मिशन, जो 26 नवंबर, 2018 को मंगल ग्रह पर उतरा था, मंगल ग्रह पर पहली बार किसी आवाज को सुना। इनसाइट के सेंसर्स ने पवन द्वारा कंपन से उत्पन्न हल्की सरसराहट को रिकॉर्ड किया। जिन दो सेंसर्स ने पवन की ध्वनि को रिकॉर्ड किया, वे हैं; लैंडर में लगा एयर प्रेसर सेंसर तथा लैंडर के डेस्क पर लगा सीस्मोमीटर। नासा के मुताबिक 1 दिसंबर, 2018 मंगल ग्रह पर पवन 10 से 15 मील...
हाल के एक अध्ययन के अनुसार हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाला मजबूत मानसून पूर्वोन्मुख पवन को प्रेरित कर सकता है जिससे अटलांटिक महासागर में उत्पन्न होने वाला हरिकेन पश्चिम में अमेरिका की ओर रूख कर सकता है। इस अध्ययन के मुताबिक जिस वर्ष गर्मी में मानसूनी वर्षा की तीव्रता अधिक होती है उस वर्ष मानसूनी पवन अटलांटिक हरिकेन को पश्चिम की ओर मोड़ देती है वहीं जिस वर्ष मानसूनी वर्षा कमजोर...