अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पदों सहित देश के सभी हिस्सों में पंचायत ढांचे में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण संवैधानिक रूप से अनिवार्य कर दिया गया था। इससे जाति-वर्ग की बाधाओं से ऊपर उठकर महिला नेता के लिए संभाव्यता का सृजन हुआ। भावी सदी के प्रारंभ में आंध्रप्रदेश असम, बिहार (ऐसा करने वाले पहले राज्य), छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड और पश्चिम बंगाल जैसे 15 राज्यों...
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